टीकाकरण क्या है और क्यों है ये जरूरी

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By Anam Hashmi




What is vaccination and why is it important?

What is vaccination and why is it important?

__________________________What is vaccination and why is it important?

टीकाकरण की प्रक्रिया काफी समय से चल रही है, हमारे आपके और सभी के शरीर पर टीकाकरण के निशान होते हैं क्योंकि बचपन में सभी के माता-पिता 

अपने बच्चों के टीकाकरण जरूर कराते हैं।और सभी माता-पिता को टीकाकरण जरूर कराना चाहिए, ये आपके बच्चे के लिए बहुत जरूरी होता है।अब बात आती है टीकाकरण क्या है। तो नवजात शिशु जब अपनी माँ के पेट में होता है तभी से यह प्रक्रिया आरंभ हो जाती है।

What is vaccination and why is it important?-टीकाकरण बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है ये बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाता है।टीकाकरण बहुत कम खर्च में हो जाता है और इसको नियामित रूप से शिशु के लगवाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर आप शिशु के टीकाकरण में लापरवाही करते हैं तो ये आपके शिशु के लिए जानलेवा होता है,

टीकाकरण बच्चे के रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाता है,और टिकाकरण से बच्चे के शरीर में होने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में मदद मिलती है।टीकाकरण एक प्रकार का रसायन होता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।इसमे मौजुद सुषम जीवाणु बिमारियों से लड़ते हैं।

What is vaccination and why is it important?

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भारत में टीकाकरण कार्यक्रम कब से शुरू हुआ।

 

भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण नीति की शुरुआत सं 1975 में हुई थी,टीकाकरण के लिए भारत में हर वर्ष 90 लाख से ज़्यादा टीकाकरण सत्रो का योजना होता है।जिसमें पीसीवी और आरवीवी जैसे टिको को भी शामिल किया जाता है।टीकाकरण नीति का एक ही उद्देश्य है कि हर बच्चे को संक्रमण रोग से बचाया जा सके।इसिलिये माता-पिता का भी ये ज़िम्मा बनता है कि वे अपने बच्चे के प्रति जागरुक रहें।

जन्म से 16 वर्ष तक बच्चों में लगने वाले टीके

 

टीकाकरण की ये प्रक्रिया  जन्म से ही शुरू होती है ,

बच्चों का जन्म से ही टीकाकरण करना बहुत जरूरी होता है अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो बच्चों को घातक बीमारी भी हो सकती है, विकलांगता भी हो सकती है और बच्चों की जान भी जा सकती है।  टीकाकरण किस प्रकार होता है ये आपको अपने बच्चे के साथ कब-कब लगाना है ये जानना बहुत जरूरी है 

और साथ ही कितने गैप के बाद कौन सा टीका लगवाना है ये भी पता होना चाहिए ,टीकाकरण की आयु के अनुसार सूची जो कुछ इस प्रकार होता है।

आयु                                                      टीका

 

जन्म के समय-                   बीसीजी, हेपेटाइटिस बी

 

1 1/2 महीना (6 सप्ताह)-  पेंटावोलेंट और आईपीबी 

 

2 1/2 महीना  (10 सप्ताह)- पेंटावोलेंट की दूसरी खुराक

 

3 1/2 महीना  (14 सप्ताह)-पेंटावोलेंट तीसरी खुराक        

                                        और आईपीबी

9-12 महीना-                    मीजल्स

 

16-24 महीना-                मीजल्स और डीपीटी

 

5-6  साल-                      डीपीटी

 

10  साल-                      टीटी

 

16  साल-                      टीटी

साथ ही टीको के साथ पोलियो ओरल वैक्सीन भी दी जाती है।जो कुछ इस प्रकार है,

जब आप अपने बच्चों के टीके लगवाते हैं तो साथ ही डॉक्टर्स ये ओरल वैक्सीन भी देते हैं जिनकी सूची कुछ इस प्रकार है।

आयु.                                      वैक्सीन ड्रॉप

जन्म के समय-                        ओपीवी 

1 1/2 महीना (6 सप्ताह)-       ओपीवी और रोटावायरस

2 1/2 महीना  (10 सप्ताह)- ओपीवी और रोटावायरस

3 1/2 महीना  (14 सप्ताह)-    ओपीवी और रोटावायरस

9-12 महीना-                        No

16-24 महीना-                      ओपीवी

5-6  साल-                            No

10  साल-                             No

16  साल-                             No 

ये जानकारी आपको अस्पताल में भी मिलती है वहां पर, आपकी सारी जानकारी की एक सूची देते हैं जिसके अनुसार आपको टीके लगवाने होते हैं।अगर आप भी एक माता-पिता हैं तो सभी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है क्योंकि आपको थोड़ी सी लापरवाही आपके बच्चों को परेशानी में डाल सकती है।

 

टीकाकरण से आप अपने बच्चों को बचा सकते हैं इन बिमारियों से।

 

टीकाकरण करने का मुख्य उद्देश्य यही है कि बच्चों को बीमारियों से बचाया जा सके, जिन बच्चों को समय पर टीके लगते रहते हैं तो वे कई सारी बीमारियों से बच सकते हैं।जो कुछ इस प्रकार है-

 

चिकन पॉक्स

डिप्थीरिया, 

हेपेटाइटिस ए और बी

एच.आई.वी

लू

एचपीवी 

काली खांसी

टिटनेस

दिमागी बुखार

हरपीज जोस्टर

खसरा

न्यूमोनिया

रोटावायरस 

पोलियो 

रुबैला आदि

 

टीकाकरण के बाद बच्चे में होने वाले लक्षण

 

टीकाकरण के बाद बच्चों को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे तेज बुखार, शरीर पर चकत्ते,सूजन शरीर में दर्द और इंजेक्शन वाली जगह पर गांठ भी बन सकती है।अगर बच्चों को ज़्यादा समस्या हो रही है तो आप डॉक्टरों को ज़रूर दिखाएँ।

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