Stray dogs took the life of Parag Desai, owner of Rs 2000 crore company of Bagh Bakri Tea.
घ बकरी चाय के 2000 करोड़ की कंपनी के मालिक पराग देसाई का आवारा कुत्तो ने ले ली जान
बाघ बकरी चाय के मालिक का 22 अक्टूबर को निधन हो गया बताया जा रहा है कि इनकी जान की वजह स्ट्रीट कुत्ते बन गए।वाघ बकरी चाय के बारे में लगभग सभी ने सुना होगा , वर्षो से ये चाय बाजार में आ रही है और कभी-कभी आप लोग ने भी पी होगी।पर आज कल ये फिर से चर्चा में है क्योंकि बाग बकरी चाय के एग्जीक्यूटिव ओनर का 22 अक्टूबर को निधन हो गया है।
कोन है 2000 करोड़ की कंपनी के ओनर पराग देसाई।
पराग देसाई का जन्म गुजरात में पराग देसाई बाग बकरी समूह के प्रबंधक निदेशक रासेस देसाई के बेटे थे और अपने परिवार की चौथी पीड़ी थे।वे केवल 49 वर्ष के थे,पराग देसाई को बिजनेस के साथ-साथ वाइल्ड लाइफ में भी काफी दिलचस्पी थी। बाग बकरी चाय के 6 निर्देशक जिनसे एक पराग देसाई भी थे,और कार्यकारी निदेशक की पोस्ट पर भी थे। पराग देसाई ने अमेरिका की लांग आईलैंड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया था.पराग देसाई एक चाय टेस्टो एक्सपर्ट भी थे।पराग देसाई 1995 में बाग बकरी चाय कंपनी में शामिल हुए,और अपनी मेहनत और लगन से कंपनी को 2000 करोड़ का टर्नओवर तक पहुंचाया।और आज ये हमारे बीच में नहीं है।
कैसे हुई पराग देसाई की मौत।
बताया जा रहा है कि 15 अक्टूबर को पराग देसाई अपने घर के बाहर आकर निकले थे, तभी इस्कान अम्बाली रोड पर आवारा कुत्तों ने पराग पर हमला कर दिया ,खुद को कुत्तों से बचाने की कोशिश में पराग का पैर फिसल गया जिससे पराग गिर गए और उनके सर में गंभीर चोट आई थी, उसके बाद पराग को शुरुआती हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। फिर सर्जरी के लिए पराग को जयेडस हॉस्पिटल में ले जाया गया कुछ दिन पराग वेंटीलेटर पर रहें और 22 अक्टूबर को इनकी मौत हो गई ये भी बताया जा रहा था कि चोट की वजह से ब्रेन हैमरेज हो गया था।पराग केवल 49 साल के थे।
जानते हैं 2000 करोड़ का टर्नओवर रखने वाली कंपनी वाघ बकरी चाय के बारे में।
बाग बकरी चाय आज की नहीं बल्कि पुरानी कंपनी है,इस कंपनी को आए हुए 100 साल पूरे हो चुके हैं और वाघ बकरी चाय भारत के टॉप 3 चाय ब्रांड में से एक है। बाग बकरी चाय की यूनिट 1892 में नारनदास देसाई द्वारा साउथ अफ्रीका से की गई थी।वहां पर इनके चाए के बगन हुआ करते थे जो 500 एकड़ जमीन में फेले हुए थे।दक्षिण अफ़्रीका में इन्होने लगभाग 20 साल से ज़्यादा चाय की खेती की थी।लेकिन अंग्रेजों के नक्सलिये भेद भाव की वजह से 1950 में भारत आना पड़ा,
और भारत आ कर इन्होनें फिर से अपनी चाय के कारोबार को शुरू किया जो आज यहां तक पहुंच गया है और अब ये गुजरात का काफी फेमस ब्रांड है,जिसने देश में पैकेज्ड चाय की शुरूआत की थी।बाग बकरी चाय अपनी सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली चाय की वजह से पूरे देश में जानी जाती है।पर आज फिर से बाग बकरी चाय चर्चा में आई है और इस बार इस का चर्चा में आने का कारण बहुत दुखद है।जी हा बाग बकरी चाय के एग्ज़ुटिव डायरेक्टर पराग देसाई का 22 अक्टूबर को निधन हो गया,पराग देसाई 1995 में बाग बकरी चाय कंपनी में शामिल हुए उस समय कंपनी की कीमत 100 करोड़ से कम थी।और अब कंपनी का कुल सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ है।आज भारत के 24 राज्यों में और 60 देशों में बाग बकरी चाय निर्यात की जा रही है।
वाघ बकरी चाय हमेशा रिश्ते बनायें।
वाघ बकरी चाय का लोगो और टैग क्या दिखा रहा है, ये शायद सभी लोग जानना चाहेंगे, दरसल बाघ का मतलब होता है शेर और बकरी का मतलब बकरी शेर जिसे काफी विशाल माना जाता है वहीं बकरी शेर के सामने कमज़ोर दिखायी देती है तो इनका शेर और बकरी से यही उदेश्य था कि ये चाय अमीर और गरीब सबके लिए है। साथ ही बाग बकरी चाय के पैकेट पर इनका लोगो था जिसमें एक आदमी बढ़ा सा बर्तन लिया है जिस मे शेर और बकरी एक साथ चाय पी रहे हैं, जिस से ये दिख रहा है कि सब लोग एक समान हैं।साथ ही इनके लोगो के साथ इनकी टैग लाइन भी काफी दिलचस्प थी जिस मे लिखा था “बाघ बकरी चाहिए हमेशा रिश्ते बनायें” इससे इनका ब्रांड और भी ज्यादा आकर्षक लगता था।